Friday 14 December 2018

'नो डिटेन्शन पॉलिसी' के समर्थन में जुटे 
विभिन्न दलों के सांसद



- कॉन्स्टिट्यूशन क्लब, दिल्ली.
दिसंबर १२, २०१८.

प्राथमिक शिक्षा में ‘नो डिटेन्शन पॉलिसी’ को खतम कराने के पक्ष मे लोकसभा की हरी झंडी के बाद ‘राइट ऑफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजुकेशन (दूसरा संशोधन) बिल २०१७’ को राज्यसभा में मंजूरी के लिये भेजा गया है. इसी बीच ‘नो डिटेन्शन पॉलिसी’ के समर्थन मे विविध दलों के राज्य सभा सांसदो ने अपनी एकजुटता प्रगट की.

दिल्ली स्थित 'नेशनल कोईलीशन फॉर एजुकेशन', 'ऑल इंडिया प्राइमरी टीचर्स फेडेरेशन' और 'सेव द चिल्ड्रेन' द्वारा सांसदों के साथ गत १२ दिसंबर को ‘कॉन्स्टिट्यूशन क्लब’ में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम मे काँग्रेस, एनसीपी, आरजेडी, सीपीआय, बीजेपी और एआयडीएमके समेत अन्य राजनैतिक दलो के राज्य सभा के सांसद शामिल थे. इन दलों से प्रदीप तामता, डी. राजा, रवि प्रकाश वर्मा, जावेद अली खान, वंदना चव्हाण, विकास महात्मे, प्रसन्न आचार्या, मनोज झा और हुसैन दलवई आदि शामिल थे. 

देश मे शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने को लेकर चली लंबी बहस के बाद तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा २००९ मे ‘शिक्षा का अधिकार अधिनियम २००९’ को लागू कर छह से चौदह साल की उम्र के बच्चो को मूफ्त और अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने की अनिवार्यता सुनिश्चित की.  इस कानून के अनुच्छेद ३० मे प्रावधानित सीसीई (सतत एवं व्यापक मूल्यांकन) के अंतर्गत बच्चो को भयमुक्त शिक्षा प्रदान करने की बात कही गई है. विविध अध्ययनो ने यह पुष्टि भी  की है कि ‘फेल’ करने से बच्चो की मानसिकता पर नकारात्मक असर पड़ता है. युनेस्को की २०१० के रिपोर्ट की माने तो बच्चो को फेल कराना मतलब सिस्टम (system) का सारा दोष बच्चो के माथे मढना है. सांसदों के साथ संवाद कार्यक्रम के माध्यम से विविध दलो के सांसदो ने इस विषय चर्चा की जिसमे सरकार को इस कानून मे संशोधन पर पुनर्विचार करने की बात की गयी.

'एनसीई इंडिया' द्वारा तीन दिनों तक चलाये गए 'गृह भेट' अभियान के तहत राज्य सभा सांसदों से मुलाक़ात कर 'नो डिटेन्शन पॉलिसी' को खत्म न करने के लिए ज़ोर दिया. अगर ये पॉलिसी खत्म हो गई तो इसका सीधा असर समाज के दबे-कुचले, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और हाशिये पर खड़े समाज से आने वाले बच्चो और खास तौर से लडकियो पर होगा. बच्चों को फ़ेल करने कि पॉलिसी से ड्रॉप आउट बच्चों की संख्या मे वृद्धि होगी खासकर लड़कियों की. 

कार्यक्रम मे समाजवादी पार्टी के सांसद रवि प्रकाश वर्मा ने ‘स्कूल सिर्फ शिक्षण के लिए नहीं हैं बल्कि मूल्यांकन और प्रमाणीकरण की व्यवस्था होने की बात की. वंदना चव्हाण ने इस चिंता को साझा किया कि 'यदि सिस्टम बुनियादी इनपुट प्रदान करने में विफल रहा है, तो बच्चों को असफल करना अन्यायपूर्ण है'. सीपीआई के सांसद डी. राजा ने कहा कि 'इस पॉलिसी को रोकने के लिए हम पूरी कोशिश करेंगे और संसद मे सवाल खड़ा करेंगे'.

एनसीई इंडिया ने संसद सदस्यों से सिफारिश की कि नो डिटेन्शन पॉलिसी के प्रभावों को देखने के लिए कोई उचित अध्ययन या शोध किया जाना चाहिए. इसके लिए किसी समिति की स्थापना की जानी चाहिए जिनकी सिफारिशें होनी चाहिए पॉलिसी को खत्म करने से पहले सरकार द्वारा इस पॉलिसी का सही तरीके से पालन किया जाना जाए. मौजूदा नीति के अनुसार किसी भी छात्र को 8वीं तक फ़ेल नहीं किया जा सकता है. 

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