Saturday 6 October 2018

संदीप भाई का जाना निश्चित ही एक क्षती है...
'टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था, मुंबई' के शोधार्थी संदीप जेधे का देहांत




मुंबई स्थित 'टाटा सामाजिक विज्ञान संस्था' के शोधार्थी, हमारे बडे भाई संदीप जेधे का आज दिनांक ६ ऑक्टोबर २०१८ को अचानक बीच मे ही चले जाना निश्चित ही हमारे अंबेडकरवादी दलित - बहुजन छात्र आंदोलन की क्षती है. कुछ ही महिने पहले उनके पिता का देहांत हुवा था. घर मी उनकी माँ और एक छोटी बहन है.


संदीप गत अनेक सालो से 'अंबेडकराईट स्टुडंट्स असोसिएशन' के साथ जुडे हुवे थे. एक विद्यार्थी होने के नाते संघटन तथा वैचारिक मतभेदो के बीच भी अन्य सभी से उनका स्नेह कम न हुवा. वे हमेशा ही सभी को साथ लेकर काम करने की बात करते. नये विद्यार्थी मित्र निश्चित ही इस के गवाह है की, किसीं भी परिप्रेक्ष से आया हुवा छात्र वे अपना समझते थे. मेरा उनका पहला परिचय २०१७ के जून के महिने मे 'ऍडमिशन' के पहले ही दिन ‘टिस' मे हो गया था. जब वे 'अंबेडकराईट स्टुडंट्स असोसिएशन' के अन्य मित्रो के साथ ‘ऍडमिनिस्ट्रेशन ऑफिस’ मे नये छात्रो को हमारे ‘इन्स्टिट्यूट’ द्वारा ‘फिज’ जमा कराने के आदेश का संवैधानिक विरोध कर रहे थे. बाद मे बात हुई, और 'जय भीम' हमारी बात की शुरुवात. अभिव्यक्ती और ऊर्जा का प्रेरणा स्रोत क्रांतिकारी घोषणा 'जय भीम' उनके अंत तक हमारे स्नेह का प्रतीक था.  

कल परसो उनकी मुलाकात चेंबूर मे हुई. हम जरा ऑखे ‘चेक’ कराने डॉक्टर के पास गये थे. बीच में रास्ता भूल गये. कुछ देर बाद संदीप भाई भी वहा पहूचे और हमसे बात की. अच्छा लगा.

वे हमेशा जमीन से जुडे हुवे इंसान थे. समाज के अंतिम तबके से आये हम सभी मित्र उनका वह जुडाव हमेशा ही महसुस करते. वे चाहते थे की, हम सभी हमारा दायित्व निभाये और बाबासाहब से प्रामाणिक रहे. वे सच्चे थे.

आज उनके जाने की खबर हम सभी को एक सदमा है. उन्हे आखरी बार देखने जब हम ‘हॉस्पिटल’ गये, हमने वहा छात्रो का उमडा हुआ हुजुम पाया. एक कभी भी विश्वास न रख पाने वाली खबर उन सभी को खिच लाई थी. जीसमे सभी विचारधारा और वर्ग के छात्र थे. वह खामोशी उस हानी को दर्शाती थी, जो एक युवा अंबेडकरवादी के आंदोलन बीच मे ही छोड जाने से हुयी थी. जो ‘टाटा इन्स्टिट्यूट’ के छात्र राजनीती मे शायद ही कभी भर सके.

4 comments:

  1. उनकी कमी हमें हमेशा खलतीं रहेंगी ....जय भीम

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  2. सृतिशेष संदीप भाई अमर रहे , जय भीम

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  3. This is very shocking. An Ambedkariate is equals to hundred others.
    Salute...

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  4. I found him very sincere, rational and very down to earth among present youth leaders in TISS. It's an irreparable loss to the movement.

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