Tuesday 11 December 2018

चूनाव परिणामो पर एक टिप्पणी

प्रतीकात्मक चित्र : साभार इंटरनेट


हाल ही मे संपन्न पाच राज्यो के चुनाव परिणामो की घोषणा कल हुई। तथाकथित घनघोर मोदी युग को चुनौती देने वाले यह नतीजे जनता को कोई भी पार्टी हलके मे ना ले यह बताने मे शायद कारीगर साबीत हो।

जीन मुद्दो को लेकर नरेंद्र मोदी ने देश की कमान संभाली थी, उनको भुलकर जाती-धर्म की नीची राजनीती गत चार सालो मे केंद्रस्थान पर रही है। हमारे देश मे मानो मंदिर की समस्या छोडकर अन्य मुद्दो मे कही 'राम' ही नही है। मात्र, जनता विकास चाहती है। संविधान का वास्तविक अनुपालन चाहती है। लेकीन इन सबसे हटकर सत्ता शिखर पर विराजित नेतृत्व खुद उसी हवा मे रहा जो कृत्रिम रूप से बना दी गयी थी। पर ये जनता है साहब, जो सब जानती है। और आज का यह परिणाम उसी जनतंत्र का सकारात्मक रूप है।

यह चुनाव केवल पाच राज्य तक सीमित नही। इस के कई मायने है, महत्व है। निःसंशय देश ने मोदीजी, बीजेपी, संघपरिवार और उनके द्वारा चलाये जाते हिंदुत्व और जातीलिंगभेदवादी राजनीती को नकारते हुवे बदलाव के दिशा मे एक कदम बढाया है। आशा है हम निरंतर धर्मनिरपेक्ष मूल्य, स्वातंत्र्य, समता, न्याय और बंधुत्व की चौखट पर विराजित संविधान के मार्ग का अनुसरण करते रहे। सभी विजयी उमेद्वारो को बधाई। जय भीम

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