Sunday 21 January 2018

कृत्रिम स्त्रीत्व को नकारता 
‘सिमोन दी बोहुआर’ का नारीवाद !




        वैश्विक परिपटल पर देवत्व तथा अमानवीयता के बीच फसे समुचे नारी समाज को पुरुषसत्तात्मक शोषण से सर्वथा मुक्त कर एक मानव कि भाती जीवन जिने कि बात रखने वाली महान विदुषी सिमोन दी बोहुआर का आज 9 जनवरी को जयंती दिवस है । स्वयं को सर्वप्रथम स्त्रीवादी घोषित कर समता के पक्ष का आग्रह रखने वाली सिमोन अपने संघर्षमय जीवन से आज भी हमे प्रेरणा देती है ।

         मूलतः, स्त्री – पुरुष दोनो ही समाज रथ के कथित दो मुल चक्र माने जाते है । मात्र, इसी वक्त सातत्य पूर्ण ढंग से व्यवस्था ने स्त्री अधिकारो को नकार कर उन्हे हजारो वर्षे सर्वांगीण दृष्टी से गुलाम रखने का प्रयास किया । तथापि यह गुलामी केवल वैचारिक क्रांती एवं समता के विचारो के मूलगामी उपयोजन के बिना कदापि ही संभव नही हो सकती । सर्वांगीण परिपेक्ष मे नारी मे तथाकथित स्त्रीयोचित गुण मूलतः कुटुंब व्यवस्था एवं समाज द्वारा ही समाहित कर दिये जाते है । कोई भी मानवी जीव अर्थात स्त्री, पुरुष अथवा अन्य सभी एक ही प्रकार से जन्म लेते है । अर्थात, सभी मे सभी समान क्षमताऐं, कांक्षाऐ एवं गुण होते है । सिमोन के यह विचार पुरुषसत्तावादी सत्ता एवं अधिसत्ता को ध्वस्त करते है । उनका विश्व विख्यात ‘स्त्री पैदा नही होती, बना दी जाती है’ यह वाक्य कृत्रिम स्त्री, पुरुष तथा अन्य लिंग भेदात्मकता को नकार कर एक मानव के संदर्भ मे सभी के समान अधिकारो का पक्ष लेता है ।

          वैश्विक स्त्रीवाद का ‘बायबल’ कहे जाने वाले फ्रेंच भाषा मे लिखित ‘द सेकंड सेक्स’ मे सिमोन ने व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, धार्मिक आदी परिपेक्ष मे स्त्री अधिकारवादी विचारधारा का मंडन कर नारी अस्तित्ववाद को प्रभावी तरीके से प्रस्तुत किया है ।

          सिमोन जीवनो पर्यंत स्त्री समता के पक्ष मे जनआंदोलन मे सहभागी रही जीस मे उन्हे थोर बुद्धिजीवी ज्यां पॉल सा‌र्त्र ने साथ दी । मुक्त और ढाचा रहित संबधो का यह अनोखा उदाहरण है । जो सिमोन और सा‌र्त्र ने जिया । आज जहा स्त्रीवाद मे सभी के प्रतिनिधित्व होने कि बात कही जाती है, निःसंशय इसका श्रेय सिमोन के तत्वज्ञानात्मक मंडन को जाता है ।

        आज दिनांक ९ जनवरी २०१८ को सिमोन के जन्म दिवस के अवसर पर विनम्र अभिवादन । लिंगभेद के अंत मे हम सब एक है ।

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पूर्व प्रकाशित - 
शुन्यकाल, दिनांक ९ जनवरी २०१८ 
http://shunyakal.com/feminism-of-simon-de-bohur-denies-artificial-femininity/ 

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