'अशोक चक्र' से जाती ढूंड लेनेवाले लोग कौन है ?
साथी सुजीत निकालजे और परिवार पर हुए जातिगत हमले के सन्दर्भ में रिपोर्ट
मुंबई स्थित ‘टाटा समाजिक विज्ञान संस्था’ के हमारे साथी तथा पीएचडी स्कॉलर अॅड. सुजीत निकालजे और उनके परिवार पर हुवा कथित जातिगत हमला आज भी भारतीय समाज की उस समस्या को अधोरेखित करता है जिसके दृढ़ीकरण हेतु धार्मिक बहुसंख्यक समाज का प्रतिक्रान्तिवादी तबका पुरे जोर-शोर से अपने समरसतावादी अजेंडे के साथ लगा पडा है. यह हमला भारतीय संविधान के आधार पर स्थापित सरकार के कान के निचे प्रतिक्रिया और शोषणवादी ताकतों द्वारा की गई वह जोरदार आवाज है जिसे समय रहते ही सूना गया होता तो सुजीत जी और उनके परिवार जैसे प्रातिनिधिक शोषण के हज़ारों उदाहरणों को बढ़ने से शायद रोका जा सकता था. खैर, हम मित्र जितना सुजीत जी को जानते है, उनके पास मदत के लिए गया शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति रहा हो जिसे खाली हाथ लौटना पडा हो. मूलतः वे एक अजातशत्रु व्यक्तित्व के धनि और एक अंबेडकरवादी होने के नाते सामाजिक कार्यों में अग्रसर रहते है. खैर, सोशल मीडिया पर प्रकाशित उनके और उनके परिवार पर हुवे जातिगत हमले की खबर निश्चित तौर पर दुख:द और निषेधर्ह्य है.

संबंधित घटना पर प्रा. डॉ. सुनील अभिमान अवचार जी का चित्र
गौरतलब है की, कोरोनाकाल की महामारी से बचने हेतु सरकार द्वारा लगाए गए सार्वत्रिक तालाबंदी के चलते सुजीत जी को अन्य छात्रों की भाँती महाराष्ट्र के फलटन जिले के अपने पैतृक गॉव को वापिस लौटना पड़ा. इसी बिच परिवार समेत अपने खेत में चल रहे काम के पश्चात उन्होंने कुछ देर पास ही के ‘धुमालवाडी’ स्थित एक जलप्रपात को देखने को जाने का मन बनाया. साथ में उनकी पत्नी, भाई और भाभी भी थे. इसी बिच जलप्रपात पर आवारागर्दी करते पड़ोस के ही हणमंतवाड़ी गाँव के कुछ कथित उच्च जातीय असामजिक तत्वों ने सुजीत जी के परिवार की स्त्रियों के साथ छेड़खानी करते हुवे अभद्र भाषा का प्रयोग करना शुरू किया. जिसे रोकने और समझाने की कोशिश भी सुजीत जी और उनके भाई द्वारा की गई. इसके विपरीत उन बदमाशों ने कुछ अन्य साथियों लाठी और कथित हथियारों समेत वापस आकर सुजीत जी और उनके परिवार का रास्ता रोक अनुचित व्यवहार का घोर प्रदर्शन किया. इसी बिच उन असमाजिक तत्वों की नज़र सुजीत जी के गाडी पर लगे ‘अशोक चक्र’ के ऊपर गई जो की केवल भारतीय दलित - बहुजन समाज के अस्मिता चिन्ह ही नहीं अपितु भारतीय संविधानिक गणराज्य का भी मानचिन्ह है, और जो अत्यंत सामान्य रूप से समता के एक प्रतिक के रूप में हमेशा इस्तेमाल किया जाता है. इसी से उन कथित उच्च जातीय असमाजिक तत्वों को सुजीत जी और उनके परिवार की कथित निचली जाती के होने का अनुमान लगाकर उनपर हमले का ‘बड़ा अवसार’ मिल गया. हमलावर अत्यंत अश्लील भाषा का प्रयोग करते हुवे सुजीत जी की जाती और उनके के सन्दर्भ में घृणास्पद भाषा का प्रयोग कर रहे थे. उन्हें रोकने की कोशिश के चलते सुजीत जी, उनकी पत्नी, उनके भाई तथा भाभी पर जोरदार हमला किया गया. जो निश्चित तौर पर बड़ी जातियों के सामने संविधानिक प्रतिरोध का नकारात्मक नतीजा था. इस हमले में सुजिती जी और उनके परिवार के अन्य सदस्य गंभीर रूप से जखमीं हुए. यह घटना दिनांक 6 सितंबर 2020 को हुई.
